Contract Employees Regularization News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को सरकारी सेवा में नियमितीकरण का पूरा अधिकार है यदि कर्मचारियों ने लंबी सेवा की हो। इसके साथ-साथ कोर्ट ने यह भी कहा है कि निरंतर सेवा आवश्यक है शिवाय उन मामलों में जहां नियोक्ता ने कर्मचारियों को कम करने से रोक दिया हो कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में जो की आगरा के सरकारी उद्यान में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की याचिका पर स्वीकार करते हुए नियमित करने के लिए चयन समिति को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी सेवा में समान अवसर का संवैधानिक उपबंध है लेकिन लंबी सेवा के बाद नियमों के तहत सेवा रेगुलर किए जाने का अधिकार भी देता है इसके लिए निरंतर सेवा आवश्यक है और इसका एकमात्र अपवाद निरंतर सेवा में कृत्रिम वविद्यान भी है जहां नियुक्ति द्वारा कर्मचारियों को कम करने से रोक दिया गया हो।
ऐसे मामलों में कर्मचारियों को न्यायमितिकरण का अधिकार
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में नियमितीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता है साथ ही न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा तथा न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने आगरा स्थित सरकारी उद्यान में माली के रूप में कार्य संविदा कर्मी महावीर सिंह और पांच अन्य की विशेष अपील स्वीकार करते हुए चयन समिति को याचियो का पक्ष सुनकर नए सिरे से नियमितीकरण पर विचार करने का निर्देश दिया है।
लगातार काम करने वाले कर्मचारी रेगुलर होने के हकदार
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक नियमों में निरंतर काम करने की आवश्यकता को शामिल नहीं किया जाता है तब तक नियमितीकरण नियम को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है याचिका करने वाले सभी याचियों का कहना था कि वे 1998 से 2001 के बीच अलग-अलग तिथियां पर आगरा के सरकारी उद्यान में संविदा पर मलिक के रूप में जुड़े कृत्रिम अवकाश को छोड़कर आज तक दे लगातार काम कर रहे हैं इसलिए उन्हें नियमित किया जाए। इन कर्मचारियों ने 12 सितंबर 2016 की अधिसूचना के क्रम में रेगुलर होने के लिए आवेदन दिया जिसे अस्वीकार कर दिया गया इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राहत देने से इनकार कर दिया था हालांकि यह भी कहा था कि किसी भी तरह की कृत्रिम ब्रेक को नजर अंदाज किया जा सकता है और इसे कर्मचारियों के खिलाफ नहीं पढ़ा जाएगा।
यह है पूरा मामला
बता दें आगरा क्षेत्र के उपनिदेशक उद्यान ने 14 अक्टूबर 2019 के आदेश के अंतर्गत दावा करने वाले कर्मचारी के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उन्होंने लगातार काम नहीं किया था बीच-बीच में भी छुट्टी लेते रहे थे जिस पर खंडपीठ ने कहा की कर्मचारी की नियुक्ति कट ऑफ तिथि से पहले हुई थी और वह नियमितीकरण नियम 2016 के लागू होने पर लगातार काम कर रहे थे यह कर्मचारी 2004 और 5 से लगातार काम कर रहे थे जबकि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के बारे में रिकॉर्ड उपलब्ध ही नहीं है कोर्ट ने कहा की सेवा निरंतरता अवरोध स्वच्छिक है या विभाग द्वारा सेवा करने से रोका गया है अगर कर्मचारियों को सेवा करने से विभागीय तौर पर रोका गया है तो सेवा की निरंतरता में कोई भी कृत्रिम अपरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता और उन्हें नियमित होने का पूरा अधिकार है।